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Sunday 17 March 2013

श्री साईं लीलाएं- साईं बाबा की दयालुता

ॐ सांई राम

कल हमने पढ़ा था.. बालक खापर्डे को प्लेग-मुक्ति    


श्री साईं लीलाएं





साईं बाबा की दयालुता
        

साईं बाबा की अद्भुत चिकित्सा की चारों ओर प्रसिद्धि फैल चुकी थी| लोग बहुत दूर-दूर से उनसे अपना इलाज कराने के लिए आया करते थे| बाबा स्वयं कष्ट उठाकर दूसरों का कल्याण किया करते थे| बाबा की दयालुता और सर्वव्यापकता की चारों ओर चर्चा थी|

यह घटना सन् 1910 की है| जब धनतेरस के दिन बाबा अपनी धूनी के पास बैठे आग ताप रहे थे और धूनी को अधिक प्रज्जवलित करने के लिए उसमें लकड़ियां भी डालते जा रहे थे| धूनी अपनी पूरी प्रचंडता पर थी, कि एकाएक साईं बाबा ने अपने हाथ धूनी में डाल दिये| तभी बाबा के भक्त माधवराव देशपांडे (शामा) ने बाबा को धूनी में हाथ डालते देखा तो वह दौड़कर बाबा के पास पहुंचा और बलपूर्वक बाबा को पकड़कर पीछे खींच लिया| वहां उपस्थित किसी भी भक्त की समझ में बाबा की यह लीला नहीं आयी| बाबा के हाथों को देखकर शामा रोता हुआ बोला - "देवा ! यह आपने क्या किया ?" तब बाबा बोले - "यहां से कुछ दूर एक लुहारिन अपनी बच्ची को गोद में लेकर भट्ठी झोंक रही थी तभी पति के बुलाने पर वह उसके पास चली गयी| उसकी जरा-सी असावधानी के कारण वह बची फिसलकर भट्ठी में गिर गयी| पर, मैंने उसे तत्काल भट्ठी में हाथ डालकर निकाल लिया| खैर, हाथ जला तो मुझे इसकी जरा भी चिंता नहीं, लेकिन मुझे तसल्ली है कि उस बच्ची के प्राण तो बच गए|" यह सारी घटना शामा ने चाँदोरकर को खत के माध्यम से लिखकर भेजी| चाँदोरकर को बाबा के हाथ जलने की घटना का पता चला तो वह मुम्बई के प्रसिद्ध डॉक्टर परमानंद को साईं बाबा की चिकित्सा करने के लिए शिरडी लाए| डॉक्टर परमानंद अपने साथ सभी आवश्यक दवाई, लेप, इंजेक्शन आदि लेकर आये थे| मस्जिद पहुंचकर चाँदोरकर ने बाबा के चरण स्पर्श करने के बाद बाबा से विनती की कि वह अपने हाथ का इलाज डॉक्टर परमानंद को करने की अनुमति दें| पर बाबा ने स्पष्ट रूप से इलाज कराने से इंकार कर दिया|

फिर भी बाबा के परम भक्त भागोजी शिंदे उनके जले हुए हाथ पर घी लगाकर एक पत्ता रखते और पट्टी बांधते थे| जिससे बाबा के घाव जल्दी भर जायें और हाथ ठीक हो जाए| इसके लिए चाँदोरकर ने बाबा से कई बार विनती की कि वो डॉक्टर परमानंद से अपनी चिकित्सा करवा लें| स्वयं डॉक्टर परमानंद ने भी बाबा से बार-बार आग्रह किया| पर बाबा ने चिकित्सा करवाने से यह कहते हुए इंकार कर दिया कि मेरा डॉक्टर तो अल्लाह ही है| इस तरह डॉक्टर परमानंद को बाबा की चिकित्सा करने का मौका न मिल सका|

लेकिन कुष्ठ रोगी होने पर भी भागोजी शिंदे का यह अहोभाग्य (अत्यन्त सौभाग्य) था कि बाबा ने उन्हें पट्टी बांधने की अनुमति दे रखी थी| वे अपने इस कार्य को पूरी श्रद्धा के साथ कर रहे थे| कुछ दिनों में जब घाव भर गया और हाथ पूरी तरह से ठीक हो गया, तब सभी भक्तों को अत्यन्त प्रसन्नता हुई| फिर भी भागोजी शिंदे द्वारा बाबा के उस हाथ पर घी मलने व पट्टी बांधने का सिलसिला बाबा की महासमाधि लेने तक नियमित रूप से जारी रहा| वैसे साईं बाबा पूर्ण सिद्ध थे, उन्हें किसी भी तरह की चिकित्सा की कोई आवश्यकता न थी, फिर भी अपने भक्तों की प्रसन्नता और प्रेमवश उन्होंने भागोजी शिंदे को सेवा करने का अवसर दिया
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कल चर्चा करेंगे..मुझे पंढरपुर जा के रहना है      



ॐ सांई राम
===ॐ साईं श्री साईं जय जय साईं ===
बाबा के श्री चरणों में विनती है कि बाबा अपनी कृपा की वर्षा सदा सब पर बरसाते रहें ।

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एक 18 साल का लड़का ट्रेन में खिड़की के पास वाली सीट पर बैठा था. अचानक वो ख़ुशी में जोर से चिल्लाया "पिताजी, वो देखो, पेड़ पीछे जा रहा हैं". उसके पिता ने स्नेह से उसके सर पर हाँथ फिराया. वो लड़का फिर चिल्लाया "पिताजी वो देखो, आसमान में बादल भी ट्रेन के साथ साथ चल रहे हैं". पिता की आँखों से आंसू निकल गए. पास बैठा आदमी ये सब देख रहा था. उसने कहा इतना बड़ा होने के बाद भी आपका लड़का बच्चो जैसी हरकते कर रहा हैं. आप इसको किसी अच्छे डॉक्टर से क्यों नहीं दिखाते?? पिता ने कहा की वो लोग डॉक्टर के पास से ही आ रहे हैं. मेरा बेटा जनम से अँधा था, आज ही उसको नयी आँखे मिली हैं. #नेत्रदान करे. किसी की जिंदगी में रौशनी भरे.