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Wednesday 20 March 2013

श्री साईं लीलाएं- बाइजाबाई द्वारा साईं सेवा

ॐ सांई राम

कल हमने पढ़ा था.. साईं बाबा द्वारा भिक्षा माँगना       


श्री साईं लीलाएं





बाइजाबाई द्वारा साईं सेवा
          

साईं बाबा पूर्ण सिद्धपुरुष थे और उनका कार्य-व्यवहार भी बिल्कुल सिद्धों जैसा ही था| उनके इस व्यवहार को देखकर शुरू-शुरू में शिरडी को लोग उन्हें पागल समझते थे और पागल फकीर कहते थे| बाद में बाबा इसी पागल सम्बोधन से प्रसिद्ध भी हो गए| जबकि साईं बाबा बाह्य दृष्टि से जैसे दिखाई देते थे, वास्तव में वे वैसे थे ही नहीं| बाबा उदार हृदय, और त्याग की साक्षात् मूर्ति थे| उनका हृदय महासागर की तरह बिल्कुल शांत था| लेकिन शिरडी में कुछ लोग ऐसे भी थे, जो बाबा को ईश्वर मानते थे| उनमे एक थी वाइजाबाई|

वाइजाबाई एक भद्र महिला वे तात्या कोते पाटिल की माता थीं| उन्होंने अपने पूरे जीवन में साईं बाबा की बहुत सेवा की थी| रोजाना दोपहर को वे एक टोकरी में रोटी और भाजी लेकर बाबा को ढूंढती-फिरतीं, कड़ी धूप में भी दो-चार मील घूमतीं, जहां पर भी उन्हें बाबा मिलते, उन्हें बड़े प्यार से अपने हाथों से खिलातीं| जब कभी बाबा अपनी ध्यानावस्था में मग्न बैठे रहते, तो वह घंटों बैठे उनके होश में आने का इंतजार करतीं| आंख खुलने पर उन्हें जबरन खिलातीं| साईं बाबा भी वाइजाबाई की इस सेवा को अपने अंतिम समय तक नहीं भुला पाए| वाइजाबाई और उसके पुत्र तात्या कोते की भी साईं बाबा के प्रति गहन निष्ठा और श्रद्धा थी| वाइजाबाई की सेवा का प्रतिफल बाद में उसके पुत्र तात्या कोते को भी दिया|

साईं बाबा वाइजाबाई और तात्या कोते से यही कहा करते थे कि फकीरी ही सच्ची अमीरी है| वह अनंत है| जिसे अमीरी कहते हैं वह तो एक दिन समाप्त हो जाने वाली है| वाइजाबाई की सेवा को साईं बाबा ने समझ लिया और फिर उन्होंने भटकना छोड़ दिया और मस्जिद में रहकर ही भोजन करने लगे| वाइजाबाई की मृत्यु के पश्चात् उसके बेटे ने भी यह सिलसिला जारी रखा| वह भी बाबा के लिए भोजन लाता|


कल चर्चा करेंगे..तात्या और म्हालसापति को बाबा का सानिध्य       


ॐ सांई राम
===ॐ साईं श्री साईं जय जय साईं ===
बाबा के श्री चरणों में विनती है कि बाबा अपनी कृपा की वर्षा सदा सब पर बरसाते रहें ।

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एक 18 साल का लड़का ट्रेन में खिड़की के पास वाली सीट पर बैठा था. अचानक वो ख़ुशी में जोर से चिल्लाया "पिताजी, वो देखो, पेड़ पीछे जा रहा हैं". उसके पिता ने स्नेह से उसके सर पर हाँथ फिराया. वो लड़का फिर चिल्लाया "पिताजी वो देखो, आसमान में बादल भी ट्रेन के साथ साथ चल रहे हैं". पिता की आँखों से आंसू निकल गए. पास बैठा आदमी ये सब देख रहा था. उसने कहा इतना बड़ा होने के बाद भी आपका लड़का बच्चो जैसी हरकते कर रहा हैं. आप इसको किसी अच्छे डॉक्टर से क्यों नहीं दिखाते?? पिता ने कहा की वो लोग डॉक्टर के पास से ही आ रहे हैं. मेरा बेटा जनम से अँधा था, आज ही उसको नयी आँखे मिली हैं. #नेत्रदान करे. किसी की जिंदगी में रौशनी भरे.